• अभ्यर्थी ज्ञान-विज्ञान की प्रत्यक्ष शाखाओं से सम्बन्धित तथा प्राच्य - विद्या एवं भाषाओं का अध्येता अथवा अनुसन्धित्सु होना चाहिए। ख) अभ्यर्थी की योग्यता कम से कम स्नातक अथवा स्नातक समकक्ष स्तर की होनी चाहिए ।
1. ज्ञान-विज्ञान की किसी भी शाखा से संबन्धित किन्तु प्राच्य - विद्या एवं विषयों में रुचि रखने तथा योगदान देने वाले ऐसे व्यक्ति जिन्होंने ‘विशिष्ट-सदस्यता’ हेतु निर्धारित शुल्क 11,000 रुपये (एकल) जमा कर दिया हो और जिनकी सदस्यता को संस्थान ने अनुमोदित कर दिया हो, विशिष्ट सदस्य होंगे।
2. लगातार पाँच वर्ष तक ‘आजीवन’ एवं लगातार दस वर्ष तक ‘साधारण’ सदस्य रहे व्यक्ति क्रमश: छठे एवं ग्यारहवें वर्ष ‘विशिष्ट-सदस्य’ माने जाएँगे।
1. ज्ञान-विज्ञान की किसी भी शाखा से संबन्धित किन्तु प्राच्य - विद्या एवं प्राच्य विषयों में रुचि रखने वाले ऐसे व्यक्ति जिन्होंने ‘आजीवन-सदस्यता’ हेतु निर्धारित शुल्क 6000 रुपये (पञ्च वार्षिक, प्रथम एवं छठे वर्ष) जमा कर दिया हो और जिनकी सदस्यता को संस्थान ने अनुमोदित कर दिया हो, आजीवन सदस्य होंगे।
1. ज्ञान-विज्ञान की किसी भी शाखा से संबन्धित किन्तु प्राच्य - विद्या एवं विषयों में रुचि रखने वाले ऐसे व्यक्ति जिन्होंने साधारण सदस्यता हेतु निर्धारित शुल्क 1500 रुपये (वार्षिक, दस वर्षों तक निरन्तर) जमा कर दिया हो, और जिनकी सदस्यता को संस्थान ने अनुमोदित कर दिया हो, साधारण सदस्य होंगे।
1. मृत्यु, पागलपन, मानसिक विक्षिप्तता, न्यायालय द्वारा गम्भीर या नैतिक अपराध सिद्ध होने पर।
2. ‘आजीवन’ तथा ‘साधारण’ सदस्य हेतु निर्धारित सदस्यता शुल्क न प्राप्त होने की दशा में, उन्हें सूचित कर तीन माह के भीतर सदस्यता समाप्त कर दी जायेगी ।
3. तीन वर्ष तक साधारण सभा की बैठकों/अधिवेशनों में अनुपस्थित तथा प्रबन्ध-समिति एवं निदेशक के चुनाव में लगातार दो बार मतदान से अनुपस्थित रहने वाले सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी।
4. संस्थान के उद्देश्यों और उसके हित के विरुद्ध आचरण/क्रिया-कलाप सिद्ध होने पर प्रबन्ध समिति की अनुशंसा से सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी।
1. विशिष्ट एवं आजीवन सदस्यों को; उनकी सदस्यता-वर्ष तक (इसके बाद वार्षिक चंदा के अध्यधीन) संस्थान से प्रकाशित पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएँगी।
2. साधारण-सदस्यों को उनकी सदस्यता-वर्ष में प्रकाशित सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी तथा पिछले प्रकाशनों पर 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
3. उपर्युक्त समस्त सदस्यों को संस्थान के पुस्तकालय की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
4. ‘विशिष्ट-सदस्य’ समय-समय पर संस्थान की परियोजनाओं, क्रियाकलापों, कार्यक्रमों का विवरण माँग सकते हैं, युक्तिपूर्ण आपेक्षिक संशोधन सुझा सकते हैं।
5. विशिष्ट-सदस्य संस्थान के नए अध्यक्ष हेतु अर्ह व्यक्तियों के चुनाव में मतदान अथवा अनुमोदन के पूर्ण अधिकारी होंगे।
6. विशिष्ट-सदस्यों, पाँच वर्षों तक नियमित आजीवन सदस्यों (दूसरी बार आजीवन सदस्यता शुल्क जमा करने के बाद) को छठे वर्ष से तथा दस वर्षों तक नियमित साधारण सदस्य रह चुके व्यक्तियों को ग्यारहवें वर्ष से संस्थान की प्रबन्ध समिति का चुनाव लड़ने अधिकार होगा।
7. विशिष्ट, आजीवन तथा लगातार पाँच वर्ष तक नियमित साधारण सदस्यों को छठे वर्ष से प्रबन्ध समिति के चुनाव में यथा-नियम मत देने का अधिकार होगा।