प्रत्नकीर्तिमपावृणु = कर प्रयत्न; कि पुरखों की थाती, पहुंचे उनकी सन्ततियों तक.

प्रकाशन

इस संस्थान का अपना एक स्वतन्त्र प्रकाशन केन्द्र है जिसमें संस्थान के उद्देश्यों के अनुरूप विविध परियोजनाओं एवं उनके अध्यधीन विविध शोधपरक सन्दर्भ‑ग्रन्थों का प्रकाशन किया जाता है। संस्थान द्वारा संचालित विविध परियोजनाओं के अन्तर्गत अब तक प्रकाशित ग्रन्थों की सूची निम्नवत् है‑

विस्तार से जानने हेतु कृपया प्रत्येक ग्रन्थ पर क्लिक करें :

1. संस्कृत-साहित्य को मुस्लिमों का योगदान (३५ खण्डों में प्रकाश्य)

2. अज्ञात एवं दुर्लभ‑कृति प्रकाशन माला

3. अनूदित साहित्य-शृंखला

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संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर विद्वानों की सम्मतियाँ / समीक्षाएँ